मैं 100% प्योर भारत माँ की औलाद हूँ..

मैं भारत माता की संतान हूं। अगर मेरी मां भारत माता नहीं है तो फिर कोई भारत माता नहीं है। फिर कोई मां पूजे जाने के लायक नहीं है। मैंने हमेशा भारत माता को अपनी माता समझा है और अपनी मां में भारत माता देखी है। क्या हम सभी सौ फीसदी माँ भारती की औलाद नहीं हैं ? सवाल मेरी मां का भी नहीं है। सवाल उन तमाम मांओं का है जिनके आगे बड़े बड़े नेता देवी कह कह कर गिड़गिड़ाते हैं और बाद में अपने वैचारिक समर्थकों से उन्हीं देवियो को किसी न किसी बहाने गाली पड़वाते हैं। गाली देने वाले की प्रोफाइल गलत हो सकती है मगर नकली नाम के पीछे किसी असली आदमी ने ही तो लिखा होगा। उसकी कुछ सोच होगी। वो किसी संगठन के लिए काम करता होगा। उसकी भलाई चाहता होगा। क्या उस संगठन में मांओं की यही इज़्ज़त है। अगर आप इस प्रवृत्ति को अब भी नहीं समझे और सतर्क नहीं हुए तो बहुत देर हो जाएगी। आखिर कौन लोग हैं जो पिछले कुछ दिनों धड़ाधड़ गालियां दिये जा रहे हैं।

दोस्त, रंडी और वेश्या गाली नहीं है। उनके चरणों की धूल से नवरात्री में दुर्गा मां की प्रतिमा जीवंत होती है। वो ज़िंदगी की उस क्रूर हकीकत की शिकार औरतें हैं, बेटियां हैं जिनके दर्द को एक पल के लिए भी समझ लोगे तो देवता बन जाओगे। शर्म आएगी कि तुम्हारे रहते औरतों को, जिन्हें हम अपने पाप पर पर्दा डालने के लिए हर बार देवियां कहते हैं, ऐसी गली से गुज़रना पड़ता है। मुझे बहुत शर्म आती है। इसलिए कभी किसी को रंडी मत कहना। वरना तुम जीवन में किसी औरत का सम्मान नहीं कर पाओगे। तुम्हारे संगठन में सत्ता की लालच में कोई औरत आ तो जाएगी लेकिन जब वो मेरा लेख पढ़ेगी तो घर जाकर बताने की स्थिति में नहीं रहेगी कि वो जिस संगठन के लिए काम करती है, उसके लोग औरतों के बारे में ऐसी ऐसी बातें करते हैं।

गाली देने वाले वैचारिक लोगों एक बात ध्यान से सुन लो। तुम जितनी संख्या में हो, उससे कहीं ज़्यादा मुझे चाहने वाले हैं। उनके प्यार की खुश्बू में तुम्हारी गालियों की शोर सुनाई नहीं देती मुझे। यहां इसलिए लिख रहा हूं कि बड़े होकर तुम्हारे बच्चों ने, बेटियों ने यह सब देख लिया तो उन्हें शर्म आएगी कि मेरे बाप चाचा ने किसी विचारधारा के प्रसार के लिए क्या क्या गालियां दी हैं। तुम उस विचारधारा को गर्त में पहुंचा दोगे। तो मैं तुम्हारी विचारधारा की रक्षा के लिए भी लिख रहा हूं। अब से सबको बताना कि रवीश कुमार भारत माता की औलाद है। 100 फीसदी भारत माता की औलाद है। मैं भारत माता की तरफ से तुम्हें माफ करता हूं। मुझे पता है कि तुम एक अच्छे इंसान हो। तुम्हें किसी ने बहका दिया है क्योंकि तुम्हारा इस्तमाल किसी पर ईंट फेंकने, किसी पर थूकने के लिए होना है। ये इसलिए होना है कि तुम्हारे ऐसा करने से कुछ लोग डर जायेंगे और वो, जिस तक तुम तमाम ज़िंदगी में नहीं पहुंच पाओगो, सत्ता के शिखर पर राज कर सके।

मित्र पता है मुझे लगता है कि कोई तुम्हें ब्लैक मेल कर रहा है। अभी तुमसे मुझे गाली दिलवा रहा है। एक दिन वो तुमसे कहेगा कि अब तुम अपनी मां को गाली दो नहीं तो पूरी दुनिया को बता देगा कि तुम्हीं हो जिसने रवीश कुमार की मां को गाली दी थी। ये जिस भी आई डी से, जिस भी संगठन के आई टी सेल से तुमने ये गाली लिखी है वो उसके रिकार्ड में है। वहां कोई सी सी टी वी कैमरा भी होगा। इसलिए मुझे तुम्हारी चिन्ता हो रही है।

क्योंकि मुझे पता है कि तुम जब मेरी मां से मिलोगे तो तुरंत पांव छू लोगे। हम और तुम जिस धर्म परंपरा से आते हैं उसमें इतना तो सीख ही लेते हैं। मैं भी तुम्हारी मां के पैर ही छुऊंगा। वैसे मेरी मां रोज़ तुलसी की पूजा करती है। साल में अनगिनत व्रत रखती है। सूरज को जल चढ़ाती है। मैं उसे तीर्थ यात्राओं पर भी ले जाता हूं। तुम्हारी मां भी यही करती होगी। नहीं भी करती होंगी तो कोई बात नहीं। ईश्वर तो दिल में होता है। पर हम तो पत्थर को भी भगवान मानते हैं और तुम इतने पत्थर हो गए कि मेरी मां को क्या क्या कह गए। कोई बात नहीं। मैं तुम्हारे भीतर मौजूद वैचारिक पत्थर को भगवान मानता हूं। उसे पूजना चाहूंगा। जल चढ़ाना चाहूंगा। मैं अपनी मां से कहूंगा कि अरविंद अच्छा लड़का है। उसे अपना ही बेटा समझ कर माफ कर देना।

मैंने कहां और कब हिन्दुओं के खिलाफ ज़हर उगला है एक प्रमाण तो दे दो। इस तरह की बातें लिखकर, व्हाट्स अप पर फैला कर आप हिन्दू धर्म को उसी तरह बदनाम कर रहे हैं जिस तरह आतंक की राह पर जाकर, आईसीस की तरफ जाकर कई लोग इस्लाम को बदनाम कर चुके हैं। माल्दा में जिन गुंडों ने यह हरकत की है उन्होंने कोई शान नहीं बढ़ाई है। मैं उस घटना पर भी लिखूंगा। मैं तुम्हारे लिए लिखूंगा क्योंकि मुझे पता है कि तुम दादरी की हकीकत के लिए कितने बेचैन थे। तुमने इखलाक के हत्यारों को सज़ा दिलवाने के लिए कैसे दिन रात एक कर दी थी।

इस तरह के कई मैसेज आए हैं । जिनके हिसाब से मैं पठानकोट हमले की रिपोर्टिंग कर रहा हूं। आप सब जानते हैं कि मैं छुट्टी पर हूं। मैं कैसे आतंकवादियों की मदद के लिए संवेदनशील सूचनाएं दे सकता हूं। इस तरह के अफवाह व्हाट्स अप पर फैला रहे हैं। असलियत यह है कि किसी भी चैनल ने लाइव रिपोर्टिंग नहीं की है। मैंने पठानकोट आपरेशन को असफल साबित करने का कोई प्रयास नहीं किया है। कई लोग कह रहे हैं कि असफल ही है। सेना के भी लोग कह रहे हैं। क्या सवाल उठाने वाले पूर्व सैनिक अधिकारी भी आतंकवादियों की मदद कर रहे हैं।

हद तो तब हो गई जब नवभारत टाइम्स ने मुझे लेकर लतीफा छाप दिया। यह लतीफा कितना ख़तरनाक है। आप पढ़ेंगे तो डर जायेंगे। पत्रकार को ऐसे डराया जाएगा तो एक बात याद रखियेगा। इस डर का नुकसान आपको होगा। नवभारत टाइम्स को ऐसा नहीं करना चाहिए था। मेरे नाम से हिट्स चाहिए तो ले लीजिए लेकिन समाज में ऐसी सोच मत डालिये जो एक दिन आपके पत्रकारों को भी खा जाएगी। यह लतीफा नहीं है बल्कि उस सोच को सामाजिक स्वीकृति दिलाने का प्रयास है जो एक दिन सवाल करने वालों के साथ होते देखना चाहती है ताकि सत्ता में उसकी मौज पर कोई सवाल न करे। लिंक दे रहा हूं और पोस्ट भी कर रहा हूं। आखिर वो कौन बीमार रहा होगा जिसने मेरे नाम से लतीफे की रचना की होगी और हैशटैग रवीश कुमार लिखा होगा ताकि कभी भी मेरे नाम से सर्च करने पर ये लतीफा मिले।

क्या आपको भी व्हाट्स अप पर मुझे लेकर अफवाहें, लतीफे और गालियों वाले मैसेज मिल रहे हैं। क्या आपने इन गालियों को भेजने वाले की राजनीतिक और वैचारिक सोच के बारे में पता किया है ? अगर आप महिला हैं, लड़की हैं तो ऐसे गाली देने वालों से सावधान रहिएगा। इनकी प्रोफाइल नकली हो सकती है मगर कोई लिखने वाला तो होगा ही। किसी जगह से जुड़ा होगा। इनकी सोच नकली नहीं है। आपकी आज़ादी पर हमला न हो इसलिए आप लड़कियों के लिए ये पोस्ट लिखा है।

असहमतियाँ हो सकती हैं लेकिन गालियों और धमकियों की प्रवृत्ति दिन ब दिन घिनौनी होती जा रही है । इन्हें नोटिस में लाना जरूरी है । मुझसे असहमत होने वाले भी जान सकेंगे कि इस तरह सीमा पार कर जाने के बारे में उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। मैं इन्हें भाव नहीं देता लेकिन हमारी राजनीति और समाज में असहमति के इस रूप को लेकर हम इतने सहज कैसे होते जा रहे हैं । इस बीमारी को रोकिये । कोई हमारे लोकतंत्र को बीमार कर रहा है ।

मित्रों, हम किसके लिए सनक रहे हैं। क्या इस देश में बहुत सारे अच्छे और सस्ते अस्पताल बन गए हैं, क्या सरकारी स्कूलो की हालत इतनी बेहतर हो गई है वहां एडमिशन के लिए लोग मार कर रहे हैं, क्या सबको नौकरी मिल गई है। क्या दवाएं सस्ती हो गईं हैं, क्या सबके पेंशन का इंतज़ाम हो गया है, । प्लीज आई टी सेल में बर्बाद हो रहे हमारे नौजवानों को बचा लीजिए । इन लड़कों का कोई क़सूर नहीं है । कोई इन्हें अपने हित में जला रहा है । मैंने उन्हें बचाने के लिए लिखा है । अपनी माँ के लिए नहीं, भारत मां के बेटों के लिए लिखा है । जय माँ भारती, जय हिन्द ।

(देश के जाने-माने टीवी पत्रकार और एंकर रवीश कुमार के फेसबुक वॉल से.)

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